पुतले बहुत बनाए तुमने,
कई रचाई रामलीलाएं,
भगवा कपडे पहन के तुमने,
श्री राम के गुण भी गए|
अग्निबाण भी छोडा तुमने,
स्वर्ण-कवच भी तोड़ा तुमने,
पर उठते उस धुंए के पीछे,
जाने रोज़ कौन जलता है ...
रावण तो दिल में पलता है|
है राम नहीं , पर बहुत है रावण,
शापित-पापित इस लंका में,
राम यहाँ जीता है डर कर.
जल जाने की आशंका में ...
चलो राम को खोजा जाए,
चलो पीड़ित सीता को बचाएं,
ताकत के मद में जो बेकाबू,
उनकों भी अब सबक सिखाएं...
आओ आज एक रावण जलाएं,
आओ आज एक रावण जलाएं||
Painting- Ravi Veerma
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