शनिवार, 8 दिसंबर 2012

प्यार एक बीज - Gulzaar Saahab


प्यार एक बीज 

प्यार कभी एकतरफ़ा होता है ना होगा
कहा था मैने
दो रूहों की एक मिलन की जुड़वाँ पैदाइश है यह
प्यार अकेला जी नहीं सकता
जीता है तो दो लोगों में
मरता है तो दो मरते हैं

प्यार एक बहता दरिया है
झील नहीं की जिसको किनारे बाँध के बैठे रहते हैं
सागर भी नहीं की जिसका किनारा होता नहीं
बस दरिया है और बहता है
दरिया जैसे चढ़ जाता है, ढल  जाता है
चढ़ना ढलना  प्यार में वो सब होता है
पानी की आदत है ऊपर से नीचे की जानिब बहना
नीचे से फिर भागती सूरत ऊपर उतना
बदल बन आकाश में बहना
काँपने लगता है जब तेज़ हवाएँ छेड़े 
बूँद बूँद बरस जाता है

प्यार एक जिस्म के साज़ पे बजती बूँद नहीं है
ना मंदिर की आरती है ना पूजा है
प्यार ऩफा है ना लालच है
ना लाभ ना हानि कोई
प्यार ऐलान है अहसान है ना कोई जंग की जीत है यह
ना ही हुनर है ना ही इनाम ना रिवाज़ ना रीत है यह
यह रहम नहीं यह दान नहीं
यह बीज नहीं जो बीज सके
खुश्बू है मगर यह खुश्बू की पहचान नहीं

दर्द दिलासे शक़ुए विश्वास जुनून और होश-ओ-हवस की एक अहसास के कोख से
पैदा हुआ है
एक रिश्ता है यह
यह संबंध है -
दो नाम का दो रूहों का पहचानों का
पैदा होता है बढ़ता है यह
बूढ़ा होता नहीं

मिट्टी में पले एक दर्द की ठंडी धूप तले
जड़ और तरक्की की फसल काटती है
मगर यह बांटती नहीं
मट्टी और पानी और हवा कुच्छ रोशनी और तरीक़ुई कुच्छ
जब बीज की आँख में झाँकते हैं
तब पौधा गर्दन ऊँची करके
मूँह नाक नज़र दिखलता है
पौधे के पत्ते पत्ते पर कुच्छ प्रश्न भी है उत्तर भी

किस मिट्टी की कोख थी वो
किस मौसम ने पाला पोसा
और सूरज का छिडकाव  किया
किस सिमट  गयीं शाखें उसकी

कुच्छ पत्तों के चेहरे ऊपर हैं
आकाश की जानिब ताकते हैं
कुच्छ लटके हुए हैं
ग़मगीन मगर
शाखों की रागों से बहते हुए पानी से जुड़े हैं
मट्टी के तले एक बीज से आकर पूछते हैं-

हम तुम तो नहीं
पर पूछना है-
तुम हमसे हो या हम तुमसे

प्यार अगर वो बीज है तो
एक प्रश्न भी है
एक उत्तर भी !

सुने - http://www.youtube.com/watch?v=_Pak7A0165g

-गुलज़ार

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