शनिवार, 18 अगस्त 2012

भारतीय कौन ???


सवाल उठता है भारतीय कौन है इस भारत में .. इसी सवाल को जानने कि जेद्दोजेहद में मैंने पाया कोई १% सिरफिरे है इस १२० करोर में जो भारतीय है | यहाँ कोई हिन्दू है तू कोई मुस्लिम कोई सिख कोई जैन ,सब कुछ न कुछ है तो, हिन्दुस्तानी कहा
ँ है ?
१२० हिन्दुस्तानियों में सब बटें है , पहले धर्म के नाम पर, फिर जाति के नाम पर, फिर भाषा के नाम पर जो बचे जो छेत्र के नाम पर| बचपन से ही सिखा दिया जाता है तुम मुसलमान हो मुसलमान के साथ रहो, तू हिन्दू है मुस्लिम से मत बात कर .. मुस्लिम को हिन्दू के मंदिर में नहीं जाना है और हिन्दू को मस्जिद और चर्च में.. ये सब भूल जाते है कि पैदा तो तुम सब यहीं हुए हो तुम्हारी सैकड़ों पुश्तें इस धरती पर बीत गयीं जाहे मुसलमान हो या हिन्दू या ईसाई| धर्म में घुसो तो ये चमार है ये ब्रह्मिन है ये बनिया है ये लाला है ये धोबी है .. इसके यहाँ नहीं जाना उसके यहाँ नहीं जाना .. इसके साथ नहीं बैठना .. इसके साथ मत खाओ .. बड़े लोग समझा देते है और हम सब मानते है हमही सब... तब सब का दिमाग घास चरने जाता है .. और जो पदे है उनमे ये भावना और बलवती होती है . वो खुद तो कट्टर्पथी बन जाते है १०-२० को और जोड़ लेते है | राष्ट्र वाद कि भावना मार जाती है | जाति के अन्दर भी बटवारा है .. वो कहेगा में पिछड़ों में ऊँचा हूँ .. मैं अगड़ों में ऊँचा हूँ... जो समाज के लोगों मैं खुद को नीचे समझते है वो भी किसी न किसी तरीके से खुद को अपनी ही जाति के दूसरों साथियों से ऊँचे बताने लगेंगे |
जो बंगाली है उसका कोई दूसरा बंगाली साथी मिल गया तो उसके और साथ चलने वाले भाद मै जाये उसको फ़िक्र नहीं रहती किसी बिहारी को बिहारी मिल गया तो उसकी भी बात बन गयी .. इनमे जो भारतीय है वो अकेला रह जायेगा| ये सभी हर कहीं भारत के किसी कोने में मिलेगा |
जब कोई भारतीय ओलंपिक में जीत गया लोगों को उसकी फिकर नहीं लेकिन असम में कुछ बंगलादेशी और बोडो में झड़प हो गयी तो सभी कुछ सर पर उठालंगे ..क्यूंकि उनके धर्म पर प्रहार है, उनकी प्रतिष्ठा का प्रशन है . वो वोट उसे ही देंगे जो उनके धर्म का विकास करें न कि उनका ..कहीं किसी भी देश में उनके धर्म पर विपदा आ जाये तो लगेगा उनकी जान निकल ली किसी ने, जायेंगे .. कुछ राष्ट्रीय संपत्ति जला देंगे.. और एक दो जब तक मार न जाये तब तक सफल नही होगा आन्दोलन ..
अमेरिका इतना बड़ा देश है और भारत कि तरह ही संघीय देश है ..क्या इस तरह का छेत्रवाद वहां दिखता है..नहीं ..
अब बात की जाये राष्ट्रवाद पर . कितने है यहाँ जो राष्ट्रगान बजने पर उठ जाते है .. कई तो 'विजई विश्व तिरंगा प्यारा को " राष्ट्रगान बता देंगे . और जो जानते है की ये भी राष्ट्रगान है तो उनको इस गीत को सम्मान देने की फुर्सत नहीं है .. कहाँ है तुम लोगों के बीच का हिन्दुस्तानी भाग.. अब किसी को जबरदस्ती तो की नहीं जा सकती की भाई इसका सम्मान कर उसका सम्मान कर ... हिन्दू है तो उसे पता है मंदिर का सम्मान करना है ..मुस्लिम है नमाज़ के लिए समय निकल ही लेगा वो भी कितना ही बिजी हो .. क्यूँ ?? भैया धर्म की बात है इसको सम्मान नहीं करेगा तो नरक में जायेगा ,जहन्नुम में जायेगा .. इनको ये नहीं पता ऐसे ही तुम्हारे अन्दर की भारतीयता मरती रही तो तो जल्द ही समय आएगा की कहीं के नहीं रहोगे ..
यही कारन है की हम जापान , जर्मनी , इसराईल जैसे अदने से देशों से पीछे है क्यूंकि हमको अपनी जाति को आगे बढाना है, हमको अपने धर्म को बढाना है .. कितना भी जाहिल नेता हो अगर मेरेa धर्म का है तो वोट उसे ही दूंगा चाहे जीतने के बाद मुझे ही लुट ले .. तुम्हे तो लूटेगा ही और तेरे जैसे हजारों को भी लूटेगा .. लकिन हम बाज़ आते कहाँ है ..

अरे सम्हल जाओ नहीं तो न तेरा धर्म बचेगा न जाति , इस देश को जिस तरह बल्लभ भाई पटेल ने टुकड़े -२ लेके जोड़ा है वो वैसे ही बट जायेगा और वो समय जल्द ही आएगा |

1 टिप्पणी:

  1. सब बातें ठीक है आपकी पाण्डेय जी सिवाय एक के की आपने अपने देश की तुलना अमेरिका से की है| अगर हम तुलनात्मक सोचेगे तो तुलनात्मक प्रगति ही कर पायेगे स्वतंत्र प्रगति कहीं खो जायेगी| तो अच्छा ये है कि हम खुद को ही देखे हम कहाँ थे और आज कहाँ है :)

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