गुरुवार, 13 सितंबर 2012

माँ की ममता


"माँ की ममता"

एक सवेरे जल्दी उठकर भोजन रोज़ पकाती थी |
एक वो, फल के ठेलों पे, चोरों सी ताक लगती थी ||
एक भले ही बेईमान और एक की नीयत नेक थी |
दोनों के थे भिन्न रूप पर माँ की ममता एक थी || १ ||

एक थी जो बालक को नित दिन, तरह तरह बहलाती थी |
एक थी वो, रातों में उसको आँचल में सहलाती थी ||
उसके पास थी एक ही युक्ति, उसके पास अनेक थी |
दोनों के थे भिन्न रूप पर माँ की ममता एक थी || २ ||

एक दिलाती बालक को जब नए नए परिधान थी |
एक वहां करती तब चिथडों पर पैबन्दों का काम थी ||
उसकी नियति विपन्न, पराश्रित; उसकी धन से अतिरेक थी |
दोनों के थे भिन्न रूप पर माँ की ममता एक थी || ३ ||

यद्यपि दोनों माताओं का एक नही व्यवहार था |
किंतु बालक ही दोनों के जीवन का आधार था ||
एक चिकित्सक सम्मुख बैठी चिंतित और अधीर थी;
एक अश्रुपूर्ण नयनों से रही, मन्दिर में माथा टेक थी ||
दोनों के थे भिन्न रूप पर माँ की ममता एक थी || ४ ||

- जय

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