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शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
चाँद 'पूनम' का ...
कल रात,
डूबा रहा किताबों में
और चाँद 'पूनम का
रात बिछाए, मेरी राह तकता रहा।
सुबह झांका खिड़की से,
तबतक रात समेत जा चुका था वो,
अब लौटेगा भी तो,
कुछ दिन ... कटा-कटा रहेगा।।
1 टिप्पणी:
जय नारायण त्रिपाठी
14 सितंबर 2012 को 12:38 am बजे
Bahut achchhi rachna hai !!!
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