वाणी : आपकी , हमारी , हम सबकी
IIT-Bombay के हिंदी समूह 'वाणी' का ब्लॉग
पृष्ठ
मुख्यपृष्ठ
वाणी परिवार
रचनाएँ भेजें
शनिवार, 29 सितंबर 2012
शेर
वो हालातों के आगे डर गयी..
अपना प्यार खुद ही रुसवा कर गयी ...
बनी थी मंजिल मेरी कश्ती की वो
मुझको ही तूफानों के हवाले कर गयी...
-श्याम सुन्दर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें