बुधवार, 5 सितंबर 2012

कल रात ...



कल अरसे बाद मिली तुम, 

तारीखें जैसे उलटी दौड पडी,
नज़रों से छुआ तुमने, 
और हाथों से बातें कर ली|



जाने खोया था तुझमें,
या तू मुझमें ही खोई थी,
बिन सोये मैं स्वप्न में था 
जानें पलकें कब सोई थी|



जब सुधि ने दी दस्तक ,
क्या बोला था? कुछ याद नहीं,
याद तो तेरी थी लेकिन ...
क्या कल की थी? ये याद नहीं|



कल रात नशीली थी शायद,
या कल रात नाश में था 'शायर' ||



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