कल अरसे बाद मिली तुम,
तारीखें जैसे उलटी दौड पडी,
नज़रों से छुआ तुमने,
और हाथों से बातें कर ली|
जाने खोया था तुझमें,
या तू मुझमें ही खोई थी,
बिन सोये मैं स्वप्न में था
जानें पलकें कब सोई थी|
जब सुधि ने दी दस्तक ,
क्या बोला था? कुछ याद नहीं,
याद तो तेरी थी लेकिन ...
क्या कल की थी? ये याद नहीं|
कल रात नशीली थी शायद,
या कल रात नाश में था 'शायर' ||
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