वो जाने-पहचाने, अनजान चेहरे,
घडी की ताल पर, उसी प्लेटफार्म पर,
जैसे 'श्री वक़्त पाबन्द'
काला ब्रीफ़केस, हाथ में 'लोकमत',
शर्ट सोम-गुरु को नीला, बाकि सफ़ेद,
और वो 'मुल्ला'
सहलाते हुए दाढ़ी, देखा है जिसे पकते,
कटे कटे से शायद, नमाज़ को जाते है,
एक बच्चा 'छोटू' अब छोटू नहीं,
बस्ता लिए स्कूल जाता था कभी,
कान में तार डाले,जाने कहाँ जाता है,
मराठी 'गजरे वाली'
चटक रंगीन साड़ी,बालों में नारंगी गेंदे,
बिन गजरे आती है अब, स्लेटी साड़ी में,
साल दर साल, बढते, बदलते चेहरे,
कल वे ना आये, फर्क नहीं पड़ता,
कल मैं ना आऊँ, फर्क नहीं पड़ता,
संवेदनाए कैद है परिवेश में,
ना कोई सुनता है, ना कोई सुनाता है,
टकराने पर मुस्कुरा कर चल देते है लोग,
बड़े शहर, लोकल जैसे है |
शर्ट सोम-गुरु को नीला, बाकि सफ़ेद,
और वो 'मुल्ला'
सहलाते हुए दाढ़ी, देखा है जिसे पकते,
कटे कटे से शायद, नमाज़ को जाते है,
एक बच्चा 'छोटू' अब छोटू नहीं,
बस्ता लिए स्कूल जाता था कभी,
कान में तार डाले,जाने कहाँ जाता है,
मराठी 'गजरे वाली'
चटक रंगीन साड़ी,बालों में नारंगी गेंदे,
बिन गजरे आती है अब, स्लेटी साड़ी में,
साल दर साल, बढते, बदलते चेहरे,
कल वे ना आये, फर्क नहीं पड़ता,
कल मैं ना आऊँ, फर्क नहीं पड़ता,
संवेदनाए कैद है परिवेश में,
ना कोई सुनता है, ना कोई सुनाता है,
टकराने पर मुस्कुरा कर चल देते है लोग,
बड़े शहर, लोकल जैसे है |
Photo by : Abhey
~~ऋषभ~~
Good one !
जवाब देंहटाएं