सोमवार, 5 नवंबर 2012

नवजीवन



तुम्हे जन्म मिला है वहाँ,
नहीं पड़ता कोई भी फ़र्क,
जहाँ तुम्हारे नहीं होने से।
हाँ, तुम्हारे होने से,
लोगों की मुश्किलें ज़रूर बढ जाती है ।

तुम्हे जन्म मिला है वहाँ,
पलक पाँवडे बिछाये बैठी,
है कर रही इन्तज़ार जहाँ,
जन्म से पहले ही तुम्हारे स्वागत में ,
तुम्हारी भावी विषमताएँ ।
जिन्हे खत्म करने का नहीं हुआ,
प्रयास भी, दशकों से ।

तुम्हे जन्म मिला है वहाँ,
जहाँ तुम्हारे नहीं हो सकते मौलिक अधिकार,
क्योंकि तुम नहीं हो इन्सान,
और तो और लड़ भी नहीं सकते,
तुम उस की तरह, इतनी क्रूरता से ।

तुम्हे जन्म मिला है वहाँ,
जहाँ की सुन्दरता पे है कलंक,
तुम्हरी प्रजाति |
है हर उस राहगीर की बाधा ,
जो यह नहीं समझता की वो भी तुम्हारी बाधा है ।

फिर भी तुम्हें जन्म यहीं मिला है,
जहाँ नहीं होना चाहिये तुम्हे,
किसी भी सूरत में |
क्या करे ?
ये तुम्हारा भी दुर्भाग्य है, और उनका भी !

- जय
(एक साल पहले इन्फ़िनिटी कोरिडोर में रात को 3 बजे जन्म लेते बछडे को समर्पित)

3 टिप्‍पणियां:


  1. बहुत ही अच्छी कविता
    .कौन किसकी जिंदगी में दखल दे रहा है,...
    हर चीज को सिर्फ मनुष्य सापेक्ष देखने की एकरसता को तोडती हुई ...
    आपकी रचना अच्छी लगी ....

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