रविवार, 13 जनवरी 2013

लोग...




जब खुद के बैठने का ठौर हो जाये
तो दुसरे के घर यूँ ही जला देते है लोग

जिंदगी में जिसने बस इज्ज़त कमाई
उसकी इज्ज़त कौड़ियों में बेच देते है लोग

यतीम जान जिन पर कभी करम किया
मुझे देख अब आँखें चुरा लेते है ये लोग

ख़ुश हूँ मै लेकिन हरदम ये भी मुनासिब नहीं
ग़म छुपाने के लिए भी मुस्करा लेते है कुछ लोग ।।


                                                  ---------- विकास पाण्डेय 

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