शनिवार, 19 जनवरी 2013

चीटियों की बस्ती



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एक सूखी हुई बारिश की छोटी सी धारा के दोनों और चीटियों की दो बस्तियां थी. मानसून के दरम्यान दोनों बस्तियों की चीटियाँ दूर रहती. बारिश के ख़त्म होते ही दोनों बस्तियों की लड़ाकू चीटियाँ एक दूसरे के नजदीक अपने संगीने तान लेती . चीटियों मैं वैसे तो बहुत तरह की चीटियाँ थी. लेकिन मुख्यत: तीन तरह की चीटियाँ थी. हुकुमती  चीटियाँ, लड़ाकू  चीटियाँ और आम चीटियाँ. कहने को तो दोनों बस्तियों मैं चीटीतंत्र था, जहाँ हर चीटी के चीटीधिकार बराबर थे . लेकिन बड़ी ही खूबसूरती से हुकुमती चीटियाँ, कभी कूट तो कभी फुट नीति से  आम चीटियों पर शासन करती और बहुत सारा माल पानी सिर्फ हुकुमती चीटियाँ चट कर जाती . बचा हुआ के आधे में  रसद पानी लड़ाकू चीटियों को अपने स्वास्थ्य एवं कुरबानी के लिए तैयार रहने के लिए मिलता. बाकी बचे हुए में  आम चीटियों को जिनकी संख्या सबसे ज्यादा थी गुजरा करना पड़ता. इधर कुछ समय से दोनों ही बस्तियों के आम चीटियों  मैं काफी आक्रोश पाया गया. वे सियासती या हुकुमती  चीटियों से हिसाब मांगना शुरू कर दे रही थी. शुरू में आम चीटियों को दबाने के लिए लड़ाकू चीटियों का प्रयोग किया गया. फिर उनके बीच में मतभेद करने की कोशिश की गयी . लेकिन हर २ या ३ दिनों के बाद फिर किसी ना किसी मुद्दे पर आम चीटियाँ हुकुमती चीटियों से हिसाब मांगने लगती.
 इन सबसे परेशान होकर दोनों तरफ की हुकुमती चीटियों ने एक गहरी चाल चली. एक दिन दोनों बस्तियों के कुछ लड़ाकू चीटियाँ को मरा हुआ पाया गया. अब दोनों तरफ की  आम चीटियाँ, हुकुमती चीटियों के साथ हो गयी और दूसरे बस्ती पर जल्द से जल्द आक्रमण करने की बात कही  जा रही थी. आम चीटियों के सारे मुद्दे और बेचेनी ठन्डे बस्ते में पड़ गए थे. दोनों तरफ से खिलाडी , कलाकार एवं अन्य आम चीटियों को वापस बुलाया या भेजा जा रहा था.
शुक्र था, तब तक बारिश हो गयी . धारा के प्रवाह ने दोनों और के लड़ाकू  चीटियों को वापस लौटने पर मजबूर किया. हुकुमतीं चीटियों ने फिर से शांतिवार्ता का स्वांग रचाया. दोनों और के चीतापति , चीतामंत्री एक दूसरे की बस्ती मैं अपने परिवार सहित पिकनिक मनाये , अच्छा अच्छा खानापीना खाकर , नाच गाना देख कर लौट आये. इस ख़ुशी के मौके पर एक दूसरे की बस्ती मैं गलती से घुस आये कुछ चीटियों को छोड़ा गया. कुछ को रख लिया गया , जिन्हें विश्वास बहाली के नाम पर आने वाले सालों मैं छोड़ा जायेगा.
दोनों बस्ती के ज्यादातर आम  चीटियों को फिर से कुछ समझ में  नहीं आ रहा है  .
                                            
                                                  ----------    नेपथ्य निशांत


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