अगला पड़ाव था हुबली कर्नाटक के एक छोटे से गाँव -कालकेरी संगीत विद्यालय और सेल्को ! इस धारवाड़ जैसे छोटे से शहर से दूर बसा हुआ यह स्कूल बिलकुल गुरुकुल की तर्ज़ पर चलता है।एक पूरी तरह से सौर ऊर्जा से जगमगाता गाँव ....प्रकृति के सर्व सुलभ,सहज उपलब्ध ऊर्जा के इस स्त्रोत का लाभ !प्रकृति की गोद में ,बियाबान के चहचहाते पंछियों के बीच,पेड़ों से छनती धूप ,गोबर से लीपे रंगोली से सजे आँगन !फिजा में ही सुर बसते हैं यहाँ की (मैं यहाँ वापस आना चाहूंगी ..खुद की तो दिली ख्वाहिश है ...आगे खुदा की ख्वाहिश पर है! )हमने सबसे पहले वहां के छात्रों का शानदार परफॉरमेंस देखा और तबला वादन से तो खासा प्रभावित हुए।उनकी सच्ची मेहनत झलक रही थी।फिर आगे हम उनके स्टाफ से मिले।इस स्कूल का प्रशासन एडम चलाते हैं जो 7 सालों से भारत में रहते हैं .वहां मौजूद और भी 2-3 विलायती लोगों से मिले। मुझे लगा कि हम भारत के होकर भी ऐसे माहौल से वंचित हैं।और वो लोग यहीं के होकर रह गये ....कला और बच्चों से प्रेम और भारत की आबो हवा ...यहाँ की फिजा ने जो उन्हें अपने आगोश में लिया तो बस अब वे यहीं रह कर उन्हें सिखाते हैं,पढ़ाते हैं। आसपास के आर्थिक रूप से असक्षम परिवारों के बच्चों को न सिर्फ संगीत बल्कि बहुमुखी विकास की ,आवासीय भरपूर सुविधा है यहाँ। इसके बाद सेल्को की कहानी सुनी। कि क्यूँ भारत को दूसरे ऊर्जा स्त्रोतों के अलावा सौर ऊर्जा का ही सबसे अच्छा विकल्प लेना चाहिए।सौर ऊर्जा के वितरण में और इसकी स्थायित्व ये कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं उनके सामने।एक जो बात मुझे अच्छी लगी कि शिक्षा को कैसे उन्होंने सौर ऊर्जा से जोड़ा ....स्कूल जाओगे तभी घर पर रोशनी होगी। सेल्को की इस लम्बी यात्रा को शब्दों में विस्तार देना मुश्किल है।
इसके बाद हम मिले टो होल्ड हुनरमंदों से
....महाराष्ट्र के कोल्हापुरी चप्पलों को गढ़ते हैं ...और कैसे महिला
सशक्तिकरण की पहल के पन्नों में भी खुद को दर्ज करा रहे हैं।पति-पत्नी
दोनों मिलकर काम करते हैं फिर भी मालिकाना हक पत्नी का होता है।शिक्षा और
अशिक्षा दोनों के साथ भी इनकी पीढियां इस कला को देश विदेश में नाम दिला
रही हैं।
अगला गढ़ था,इन्फोसिस बंगलुरु कैंपस
.इतनी शांति,हरियाली, और ईको फ्रेंडली वाहन,साइकल्स पर सवार एम्प्लोयीज़
देखकर बेहद सुकून मिलता है।प्रेक्षाग्रह में हमने इन्फोसिस की यात्रा
सुनी।'' Be daring,be different !! ''..ये एक बात जो मैंने उनके
डाक्यूमेंट्री फिल्म से खासकर के नोट की .कैसे विश्व की शीर्ष आई .टी
.कंपनियों में से एक इन्फोसिस की बिनाह किन मूल्यों पर आधारित
है।इन्फोसिस परिवार का हर सदस्य कितना महत्व पाता है।एक और बात काबिले गौर
है कि उन्होंने कहा कि आप इसे मानव संसाधन विकास कहें (H.R.D.)कहें न कि
टेक्नोलॉजी का विकास! उपभोक्ताओं की संतुष्टि,उत्कृष्टता ,ईमानदारी
,पारदर्शिता उनके कुछ आधारबिन्दु हैं।
फिर सुना हमने किरण मजुमदार शॉ को ....एक
हिन्दुस्तानी औरत की संघर्ष से कामयाबी के शिखर पर पहुँचने की कहानी!
डॉक्टर बनना चाहती थी पर आज बायोकॉन की सर्वेसर्वा हैं। ज़िन्दगी हारों से
सीखकर आगे बढ़ना सिखाती है .लेकिन हारेंगे नही तो फिर जीतना कैसे सीखेंगे।
तो ज़िन्दगी में हार बेहद ज़रूरी है। आज 40% शोधकर्ता महिलाएं हैं बायोकॉन
में .पहले दो कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले दो कार मेकेनिक थे ...और पहली
सेक्रेटरी और कोई नही मिलने पर एक दोस्त! पहला दफ्तर घर के गेराज में!
फिर पैनल डिस्कशन -रेड्बस,फ्लिप्कार्ट
,ज़ेवामे और डैल के प्रतिनिधि मेहमानों से मिले। दरअसल लंच के बाद मैं ऊंघ
रही थी (मानव स्वभाव !) तो ज्यादा कुछ तो लिख नही पायी।पर जो चीज़ मैंने
अपनी डायरी के पन्नों में दर्ज की वो -आप को किसी भी चीज़ के बारे में
जूनून और सच में उसे करने का ज़ज्बा होना चाहिए।इस बात से कोई फर्क नही
पड़ता कि आप तकनीकी रूप से दक्ष है या नही।
---------------- स्पर्श चौधरी
---------------- स्पर्श चौधरी
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