गण हैं हम इस गणतंत्र के , तंत्र हिला के रख देंगे
अन्याय और दुर्भाव के सब बीज मिटा के रख देंगे
चाहे दुश्मन बाहर हो या घर के भीतर हो विभीषण
इस बार न छोड़ेंगे हम उनको देंगे ऐसा दंड भीषण
कि, काँप उठे ये धरा और कांप उठे अम्बर सारा
बस गूंजे ज़ग में देशप्रेम और देशप्रेम का ये नारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा ! सबसे प्यारा देश हमारा !
झंडा ऊँचा रहे हमारा ! सबसे प्यारा देश हमारा !
---------- शक्ति शर्मा
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