शनिवार, 26 जनवरी 2013

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ??

मेरा भारत महान ! ...नही मैं ये तो बिलकुल नही कहूँगी ....पर हाँ मैं अपने देश से प्यार बेहद करती हूँ . और जब हम अपने देश से प्यार करते हैं तो उसके अच्छे और बुरे पक्ष दोनों ही अपने हुए न! जो हमारा है,उसे हमें ही तो देख भालना पड़ेगा न। जैसे अगर परिवार का कोई सदस्य गलत रास्ते पर चला जाए तो हम उसे कोसते ही तो नही रहते पूरी कोशिश करते हैं की वो सुधर जाए ....तो ठीक वैसे ही भारतीय होना मेरी पहचान है ....एक वैविध्य लिए हुए देश जिसमे आज दरारें पड़ गयी हैं,उसे भरना हमें ही होगा,सरकार को क्या करना है वो तो बेहद आवश्यक है ही। आज ही मेरे पापा मुझसे कह रहे थे कि अब तो भगवान् ही मालिक है बेटा इस देश का।फिर बोले और अब सब कुछ तुम नयी पीढ़ी के बच्चों के ही हाथ में ही है ...बचा लो देश की डूबती नैय्या को ! तो मैं चिंतन कर रही थी कि अब सच में हमे ही कुछ करना होगा।देखिये न युवा शक्ति ने ही स्त्री अधिकारों के प्रति और देश की कानून व्यवस्था को सही करने के लिए जो हल्लाबोल किया है उसका असर कुछ तो हुआ है। माना एकदम सब कुछ नही बदलेगा पर कुछ बेहतर तो होगा।मुझे लगता है कि चौटाला के घोटाले की बात हो ,राहुल की ताजपोशी हो,गडकरी की धमकी हो,तेज़ी से बढ़ते महिलाओं के प्रति अपराधों की हो या, फिर पुलिस की सुस्ती और संकीर्ण मानसिकता और उदासीनता हो,या और कोई मुद्दा हो देख के गुस्सा तो बेतहाशा आता है पर जो भी हो अब इन नेताओं को ,धार्मिक संतों,गुरुओं को बयानबाजी करनी बंद होगी ,कुछ कर नही सकते तो कम से कम चुप तो बैठो। ....जस्टिस वर्मा की कमेटी ने जो भी सुझाव दिए उसको शब्दशः पालन करलें ये,कुछ इन्हें कुर्सी तक पहुंचाने वाले हम लोगों की आहें भी इनके कानों तक पहुँच जायें और ये उसे अनसुना न करें,सपनों के भारत की फेहरिस्त तो काफी लम्बी है पर उम्मीद है मैं इन सपनों को पूरा करने में कुछ पुख्ता कर पाऊं,और हो सके तो आप भी करो,क्यूंकि एक बात ध्यान तो रखना ही है अब वातानुकूलित दफ्तर में बैठके कंप्यूटर पर काम करके ही सिर्फ देश नही चलता अब हमारे परिवार -भारतीय परिवार के लोगों को हमारी ज़रुरत है ! निराशा ,संघर्ष और रोड़े तो कदम कदम पर आएंगे ही पर अगर देश और अपने लोगों के लिए कुछ करना है तो चुप बैठ के काम नही चलेगा .आज ही मैं भारतीय संविधान का प्रॆअम्बल पढ़ रही थी तो पढ़कर काफी दुःख हुआ कि हर एक अंश की इतनी धज्जियाँ उड़ रही हैं आज देश में ,शायद संविधान को पुनः परिभाषित करने की या पुनः याद दिलाने की ज़रुरत है हरेक को !
उम्मीद है कि आगामी वर्षों में राष्ट्रीय त्योहारों के इन अवसरों पर हरेक देशवासी का दिल खुश हो,आत्मा संतुष्ट हो, और वो भी इसकी खुशियाँ वैसे ही मनाये जैसे हम अन्य त्यौहार सब मिलके मनाते हैं,
इसलिए देश ,देशवासियों, को एक अच्छे लोकतंत्र ,सच्चे लोकतंत्र को पाने के आगामी दिवस की हार्दिक 'शुभ' कामनाएं! क्यूंकि 26 जनवरी 1950 को तो सिर्फ उसका शरीर अवतरित हुआ था आत्मा तो कबकी चूर चूर हो चुकी है। जब हम सब मिलकर उस आत्मा को पुनः प्रकट कर लेंगे तब मैं दिल से कह पाउंगी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
   
------------ स्पर्श चौधरी 

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