गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

उड़ान !


दरअसल मैं खाली वक़्त में अक्सर सामाजिक और मानवीयता से जुड़े मुद्दों पर नेट पर वीडियो या शो तलाशा करती हूँ ....बस इसी दरमियान मुझे उड़ान का पता चला .....-

ये लेख मैं लिख रही हूँ एक पाकिस्तानी टी . वी .शो ' उड़ान ' से प्रेरित होकर जो मैंने कल रात देखा और सारी रात मेरे दिमाग में वही घूमता रहा .आज सर में हल्का सा दर्द भी है इसी वजह से ...इसीलिए मस्तिष्क उन विचारों से दूर नही हो पा रहा है .कैसे होगा भला कुछ संवाद दिमाग में घर कर गये हैं मसलन -

'एक औरत के लिए बदकिरदार लफ्ज़ कोड़े के जैसे होता है जो हर वक़्त उसके वजूद पर बरसता महसूस होता रहता है ! 

भारत के हालातों पर तो सारा देश वाकिफ है पर पाक के औरत से जुड़े मसलों का एक वैसा ही पर कुछ अलग ढंग का चेहरा देखने को मिला !

दूसरी मुख्य किरदार सवेरा का बोल्ड और आत्मसम्मानी होना,उसका उस जानवर को उसकी ही कडवी दवाई का स्वाद चखा देना मुझे बेहद अच्छा लगा !
        '' जैसे सबके सामने मुझे बियाह के लाये थे वैसे ही सबको इकठ्ठा करो तभी मुझे छोड़ सकते हो तुम ! ' मेरा कमरा है ...चली जाओ बाहर -शौहर की अहमकाना भभकी ...पर बीवी का कहना कि इस कमरे में सारी चीज़ें मेरे ज़हेज़ की ही हैं ....तुम बाहर जाओ! कहीं न कहीं हर औरत को यूँ होना होगा .पर शो की अन्य मुख्य नायिका जो 'उड़ान' टॉक शो की मेजबान थी -जो एक बेहद मज़बूत और आधुनिक महिला नज़र आती थीं-उसके साथ भी वही शख्स धोखा करता है तो उनकी रूह भी काँप उठती है .सच ही है -उसी के लफ़्ज़ों में -मुझे लगता था कि कम -से-कम मैं तो शादी ,बच्चा और फॅमिली के बारे में फैंटेसी नही रखती पर मैं गलत थी -साना सईद भी ट्रैप हो सकती है -ऐसा कहते हुए मुझे बेहद अफ़सोस होता है कि 'The' sana saeed has been trapped like any other normal girl ! -क्यूंकि हर औरत के अन्दर का दिल हमेशा वही रहता है -सच्चे प्यार को चाहता है -और एक दूसरी नायिका के शब्दों में-औरत चाहे कितनी भी इंडिपेंडेंट क्यूँ न हो -दिल से वही होती हैं ....कुछ दिखाती हैं कुछ छुपाकर रखती हैं और ....पर .जब ये दिल टूटता है तो उसकी दुनिया तबाह हो जाती है -कुछ इस ग़म में पागल हो जाती हैं या कर दी जाती हैं या कुछ उस जैसे उसे करारा जवाब देती हैं पर अन्दर बहुत कुछ रीता होता है पर उसे तमाम लोगों के सामने ज़ाहिर नही होने देती .
                एक और मुख्य किरदार थीं आयशा -उसी डॉक्टर फ़राज़ की पहली बीवी ! जिन्हें किसी ज़हनी बीमारी का बहाना बनाकर या कहें पागल करार देकर रात के बारह बजे तीन बार तलाक बोलकर सारे तालुकात ख़तम कर लिए जाते हैं !! मैं जानती थी कि ऐसा होता है पर सच में ऐसा देखकर मैं सच में काँप गयी .मर्द को औरत की आँखों में अपना खौफ देखना अपने झूठे अहम् की पुष्टि के लिए बेहद ज़रूरी है !वो अपनी बीवी को अपने से ज्यादा तालीम ,शोहरत और काबिलियत के साथ नही देख सकता .चाहे औरत को उसका घमंड हो न हो !

# बेटी की पढ़ाई छुड़ाकर शादी कर देना कैसे एक पिता की सबसे बड़ी गलती बन जाता है -और जिसे वह एक सीख के तौर पर लेता है और अपनी दूसरी बेटी के साथ नही दोहराता ! काश तब उसने जल्दी न की होती तो आज आयशा एक डॉक्टर होती और अपने तरफ बढ़ते हर हाथ को रोक पाती .
# एक और संवाद जो आयशा की ग़मज़दा ज़िन्दगी के पन्नों से है -मैं उस तरह की लड़की थी जो मायके में अपने वालिद के और सुसराल में शौहर को ही अपना सब कुछ मानती थी -वही शौहर -जो प्यार के इम्तिहान के नाम पर सिगरेट से उसे जलाता था-एक निहायत ही जानवराना हरक़त -क्या तुम मेरे लिए दर्द सकती हो?

# पुरुष मानसिकता का एक और चेहरा -तुम अपने अब्बू और मुझमें से किसे ज्यादा प्यार करती हो -पलटकर उसका पूछना -भला ये कैसा सवाल है ? मैं अगर पूछूँ कि आप अम्मी और मुझमें से किसे ज्यादा प्यार करते हो तो ?तो तपाक से रूखा सा जवाब मिला -मम्मी से और अगर तुम कहती कि तुम अब्बू से ज्यादा प्यार करती हो तो मैं अभी इसी वक़्त तुम्हे तुरंत तलाक़ दे देता ! वाह रे दोहरा चरित्र -डबल स्टैंडर्ड्स !!-कुरआन में कहाँ लिखा है कि औरत दोयम दर्जे की होती है .

# जब एक खातून ही दूसरी पर ज़ुल्म ढाती है तो बेहद दुःख होता है -वह भी खासतौर पर तब जब औरत इतनी तालीम पाकर इज्ज़त के परों के साथ उड़ान भरने लगे कि उसे अपने ही मासरे की बाकी औरतों के खून और बेचारगी से फडफडाते परों का शोर भी न सुनाई पड़े .

# कहते हैं तालीम हमारा किरदार बनाती है पर मुझे इसमें शक है क्यूंकि आजकल तालीम से ज़हनी ख्यालों का कोई तालुक नही है क्यूंकि ज़्यादातर ऐसा होता है के बुनियाद पर हम उसे generalize नही कर सकते !
# औरत का वजूद सिर्फ औलाद पैदा करने तक ही नही होता ...यह मुद्दा भी उठाया उड़ान ने -उसकी रसोई और शौहर से बढ़कर भी एक शिनाख़्त होती है !

# डॉक्टर फ़राज़ जो 'उड़ान ' टॉक शो में एक मनोरोग चिकित्सक के नाते आता है -किसे पता होता है कि यह हैंडसम सा दिखने वाला डॉक्टर खुद ही एक तरह की ज़हनी बीमारी की गिरफ्त में है पर उसे यह बीमारी तीन जिंदगियों के साथ खेलने का कोई हक नही देती! 

# सब कुछ समझना ,सारी वजहों को पहचानना शायद बाकायदा तालीम से सिखाया जा सकता है पर उसे अपनी ज़िन्दगी में उतारना ही उसे मायने दिलाता है।

# और आखिर में '' उड़ान हमेशा से मुश्किल होती है .,औरत के लिए तो और भी मुश्किल होती है खासकर परों के बिना इसीलिए औरत को तालीम ,बराबरी और इज्ज़त के परों से नवाज़ा जाए ताकि वो भी अपने ख्वाबों की उड़ान भर सके !! :)

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