सोमवार, 27 मई 2013

" ना थमेगा तूफ़ान अब , ना थमेगी ये गर्जना !! "



ना थमेगा तूफ़ान अब,
ना थमेगी ये गर्जना,
ना रुकेंगी ये आहटें
है आँधियों की सूचना,
कल तक थे हम भी सो रहे,
अपने लहू के वासते,
अब जगे हैं तो कर रहे,
शत्रु प्रभु से अर्चना।।

कितना भी हो जोश तुझमें,
कितना भी ललकार ले,
कितनी भी दे गालियाँ,
और कितना भी फुफकार ले,
दबी थी जो राख में
वो आग अब है जल रही
हैं उठ रहीं चिंगारियाँ
अब खुद को तू पुचकार ले।।

ना थमेगा ये रोष अब,
ना थमेगी ये साधना,
ना मिटेंगे अब घरोंदे,
है शत्रुओं को सूचना,
कल तक थे सब बिखरे हुए
और स्वयं में तल्लीन थे,
अब जुड़े हैं तो देखना
जीतेगी अपनी चेतना !!!!!


                               -अंकिता जैन 

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