वो
माथे पे लगी
तुम्हारी
बिंदी में सिमट भी सकता है
या
समा सकता है तुम्हारे
लहराते
आँचल में
वो
सियासी कालिख़ को
कुरेद
भी सकता है
या
छुपा सकता है तुम्हारे
हालों
में
पतझड़
के पत्ते,
पिघलता
चाँद और टूटते आबशार
कहो
कहाँ थे पहले?
वो
आसमान पे हाथ धरे
और
ज़मीन पे पांव टेके हुए है.
सब
उसका है,
सब!
jiski har ek boond men anant saagar hai,
जवाब देंहटाएंKhoobsoorat likha hai verma ji :)
:)
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