कवितायेँ पढ़ पढ़ कर थोड़ा बोर हो गए ? तो आज पेश है आपके लिए कुछ बेहतरीन गाने आला दर्ज़ की लिरिक्स के साथ ! गाने भी बुनियादी तौर पर कविता या ग़ज़ल ही होते है ,कुछ पेचदिगियों के साथ , मसलन गानो में तुकबन्दी आवश्यक होती है। तो देर किस बात की , सुनिये साहिर लुधियानवी , गुलज़ार , प्रसून जोशी , अमिताभ भटटचार्य सरीके गीतकारों की कलम से निकले हुए ये लाजवाब गाने !
1.) Main pal do pal ka shaayar hun / मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी हैं .
मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी हैं
पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी हैं
मुझ से पहले कितने शायर, आये और आकर चले गए
कुछ आहे भर कर लौट गए, कुछ नग्में गा कर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा थे, मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुम से जुदा हो जाऊंगा, वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
कल और आयेंगे, नग्मों की खिलती कलियाँ चुननेवाले
मुझ से बेहतर कहनेवाले, तुम से बेहतर सुननेवाले
कल कोई मुझको याद करे, क्यों कोई मुझको याद करे
मसरूफ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक्त अपना बरबाद करे
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी काँटों का हार मिला
खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग़मे चाहे तो आहें सर्द मिली
बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ
किसको फ़ुरसत है जो थामे दीवानों का हाथ
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला
हमने तो जब...
इसको ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब...
हमने तो जब कलियाँ माँगी काँटों का हार मिला
खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग़मे चाहे तो आहें सर्द मिली
दिल के बोझ को दूना कर गया जो ग़मखार मिला
हमने तो जब...बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ
किसको फ़ुरसत है जो थामे दीवानों का हाथ
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला
हमने तो जब...
इसको ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब...
3.) आगे भी जाने न तू (वक्त -1965) Aage bhi jane na tu (Waqt-1965)
आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू
जो भी है बस इक यही पल है ..
अनजाने सायों का राहों में डेरा है
अनदेखी ने हम सब को घेरा है
ये पल उजाला है बाकी अँधेरा है
ये पल गंवाना ना ये पल ही तेरा है
जीने वाले सोच ले, यही वक्त है, कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू
जो भी है बस इक यही पल है ..
इस पल के जलवों ने महफ़िल संवारी है
इस पल की गर्मी ने धड़कन उभारी है
इस पल के होने से दुनिया हमारी है
ये पल जो देखो तो सदियों पे भारी है
जीने वाले सोच ले यही वक्त है, कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू
जो भी है बस इक यही पल है ..
इस पल के साए में अपना ठिकाना है
इस पल के आगे हर शै फ़साना है
कल किसने देखा है, कल किसने जाना है
इस पल से पायेगा जो तुझको पाना है
जीने वाले सोच ले यही वक्त है, कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू
जो भी है बस इक यही पल है ..
4.) रु-ब-रु (Robaroo)
सितार में बदल गया
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
(धुआँ छटा खुला गगन मेरा
नयी डगर नया सफ़र मेरा
जो बन सके तू हमसफ़र मेरा
नज़र मिला ज़रा) - 2
आँधियों से झगड़ रही है लौ मेरी
अब मशालों सी बढ़ रही है लौ मेरी
नामो निशान रहे ना रहे
ये कारवाँ रहे ना रहे
उजाले में पी गया
रोशन हुआ जी गया
क्यों सहते रहे
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
धुआँ छटा खुला गगन मेरा
नयी डगर नया सफ़र मेरा
जो बन सके तू हमसफ़र मेरा
नज़र मिला ज़रा
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
ए साला - 4
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
(धुआँ छटा खुला गगन मेरा
नयी डगर नया सफ़र मेरा
जो बन सके तू हमसफ़र मेरा
नज़र मिला ज़रा) - 2
आँधियों से झगड़ रही है लौ मेरी
अब मशालों सी बढ़ रही है लौ मेरी
नामो निशान रहे ना रहे
ये कारवाँ रहे ना रहे
उजाले में पी गया
रोशन हुआ जी गया
क्यों सहते रहे
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
धुआँ छटा खुला गगन मेरा
नयी डगर नया सफ़र मेरा
जो बन सके तू हमसफ़र मेरा
नज़र मिला ज़रा
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
ए साला - 4
ए साला
अभी अभी हुआ यक़ीन की आग है मुझ में कही
अभी अभी हुआ यक़ीन की आग है मुझ में कही
हुई सुबाह मैं चल गया
सूरज को मैं निगल गया
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
जो गुमशुदा-सा ख्वाब था
वो मिल गया वो खिल गया
वो लोहा था पिघल गया
खिंचा खिंचा मचल गया
सूरज को मैं निगल गया
रु-ब-रु रोशनी हे - 2
जो गुमशुदा-सा ख्वाब था
वो मिल गया वो खिल गया
वो लोहा था पिघल गया
खिंचा खिंचा मचल गया
5.) Tu Bin Bataye Mujhe Le Chal Kahi / तू बीन बतायें मुझे ले चल कहीं
तू बीन बतायें मुझे ले चल कहीं
जहां तू मुस्कूरायें मेरी मंझिल वहीं
मिठी लगी, चख के देखी अभी
मिश्री की डली, जिंदगी हो चली
जहां हैं तेरी बाहें, मेरा साहील वहीं
मन की गली तू पुहारों सी आ
भीग जायें मेरे ख्वाबों का काफिला
जिसे तू गुनगुनायें मेरी धून हैं वहीं
6.) आज़ादियाँ - Aazaadiyan
पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बांधे नहीं रे, कभी नहीं रे मिट्टी की परतों को नन्हे से अंकुर भी चीरे, धीरे-धीरे इरादे हरे-भरे, जिनके सीनों में घर करे वो दिल की सुने, करे, ना डरे, ना डरे सुबह की किरनों को रोकें, जो सलाखें है कहाँ जो खयालों पे पहरे डाले वो आँखें है कहाँ पर खुलने की देरी है परिंदे उड़ के चूमेंगे आसमां आसमां आसमां आज़ादियाँ, आज़ादियाँ मांगे न कभी, मिले, मिले, मिले आज़ादियाँ, आज़ादियाँ जो छीने वही, जी ले, जी ले, जी ले सुबह की किरनों... कहानी ख़तम है या शुरुआत होने को है सुबह नयी है ये या फिर रात होने को है आने वाला वक़्त देगा पनाहें या फिर से मिलेंगे दो राहें खबर क्या, क्या पता
7.) नाव - Naav
चढ़ती लहरें लांघ न पाए क्यूँ हांफती सी नाव है तेरी तिनका-तिनका जोड़ ले सांसें क्यूँ हांफती सी... उलटी बहती धार है बैरी के अब कुछ कर जा रे बंधू जिगर जुटा के पाल बाँध ले, है बात ठहरी जान (शान) पे तेरी, हैय्या हो की तान साध ले, जो बात ठहरी जान (शान) पे तेरी, चल जीत-जीत लहरा जा, परचम तू लाल फहरा जा, अब कर जा तू या मर जा, कर ले तैयारी, उड़ जा बन के धूप का पंछी, छुड़ा के गहरी छाँव अँधेरी, छाँव अँधेरी, तिनका-तिनका जोड़... रख देगा झंकझोर के तुझे, तूफानों का घोर है डेरा, भंवर से डर जो हार मान ले, काहे का फिर जोर है तेरा, है दिल में रौशनी तेरे, तू चीर डाल सब घेरे, लहरों की गर्दन कसके डाल फंदे रे, कि दरिया बोले वाह रे पंथी, सर आँखों पे नाव है तेरी चढ़ती लहरें लांघ...
फेसबुक के माध्यम से ब्लॉग मिला | आपके प्रयास बहुत अच्छे हैं लेकिन हिंदी के नाम पर उर्दू मिश्रित भाषा देख के निराशा हुई |
जवाब देंहटाएंभविष्य केलिए शुभ कामनाएँ |