वाणी : आपकी , हमारी , हम सबकी
IIT-Bombay के हिंदी समूह 'वाणी' का ब्लॉग
पृष्ठ
मुख्यपृष्ठ
वाणी परिवार
रचनाएँ भेजें
सोमवार, 6 अगस्त 2012
आदत
सहेज कर रखी गयी ,
शेल्फ की किताबों पे पड़ी हुई गर्द जैसे .
या, किसी मोड़ पे इंतज़ार में उखड़ते,
मील के पत्थर जैसे.
आवाज़ को क़ैद करते नुक्तों की तरह
किसी एक सोच से चिपक कर
चुप से रह जाते हैं
.
"ठहरे हुए लोग"
*************
-रश्मि चौधरी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें