वाणी : आपकी , हमारी , हम सबकी
IIT-Bombay के हिंदी समूह 'वाणी' का ब्लॉग
पृष्ठ
मुख्यपृष्ठ
वाणी परिवार
रचनाएँ भेजें
शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
ख़ामोशी
खामोशियाँ है आज खामोशियाँ ही रहने दो,
दुःख की नदी को चुप चाप बहने दो,
मै आज डूब भी जाऊं तो किसको फ़िक्र है,
यह शमा मत बुझाओ मदहोशियाँ ही रहने दो..||
जो ख्वाब देखा कल उससे खवाब रहने दो..
हम पागल ही सही दुनिया को होशियार रहने दो...||
-अंकित यादव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें