गुरुवार, 22 नवंबर 2012

ज़िन्दगी का हाथ बड़ा तंग है - किशोर चौधरी




















दरअसल जो नहीं होता,
वही होता है सबसे ख़ूबसूरत
जैसे घर से भाग जाने का ख़याल

जब न हो मालूम कि जाना है कहां.

ख़ूबसूरत होता है शैतान का पहली बार सोचना,
अपनी प्रेमिका के बारे में और पुकारना उसका नाम
इससे भी ख़ूबसूरत होता है, न सोचना अंज़ाम के बारे में.

किसी पुराने पेड़ की छाँव में बैठना कुछ देर
उससे कहना कि
दिल में बसा लिया है तुमको, अब अलविदा
कि ख़ूबसूरत होता है, अलविदा से थोड़ा पहले का वक़्त.

कारीगर का सोचना
कि इस अलमारी में वह अपना कुरता टांगेगा
पास वाली में टंगे रहेंगे एक नाज़नीन के कुछ शोर्ट्स
और फिर हेंगर वाली लकड़ी को ढ़ाल देना
अपनी महबूबा की कमर के बल की तरह
कि ख़ूबसूरत होता है, किसी के प्रेम में बढ़ई हो जाना.

ख़ूबसूरत होता है ख़त नवीस होना
लिखना सात समन्दर पार तक आई है तुम्हारी याद
और ये न लिखना कि
एक बार फिर मैंने तोड़ दिया है, मिलने का वादा
कि किसी को उदास न करना भी होता है ख़ूबसूरत.

यूं तो भरी होती है दुनिया, हीरे और जवाहरातों से
मगर ख़ूबसूरत होती है, महबूब की बिल्लोरी आँखें
उससे भी ख़ूबसूरत होता है, शैतान का उनको देखना.

लम्बी उम्र में कुछ भी अच्छा नहीं होता
ख़ूबसूरत होती है वो रात, जो कहती है, न जाओ अभी.

ख़ूबसूरत होता है दीवार को कहना, देख मेरी आँख में आंसू हैं
और इनको पौंछ न सकेगा कोई
कि उसने जो बख्शी है मुझे, उस ज़िन्दगी का हाथ बड़ा तंग है.

कि जो नहीं होता, वही होता है सबसे ख़ूबसूरत.

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