मेट्रो , अध्यात्म , मदर , मार्क्स एवं नगरवधू
- नेपथ्य निशांत
कहते हैं , प्लान 'बी' , प्लान 'ए' से खुबसूरत होना चाहिए . शुक्रिया कोहरे और हमारे देश की रेलवे का , जो हावड़ा से मुंबई जाने वाली रेलगाड़ी को दूसरी संपर्क रेलगाड़ी के देर होने की वजह से बस प्लेट फॉर्म से जाते हुए ही निहार पाए . ...... फिलहाल जैसा होना चाहिए था ,वैसा ही हुआ........बीसियों बार कोलकाता से गुजरते वक़्त .....ये ख्वाइश थी , एक बार कोलकाता घुमने का.......
कोलकाता ................................................................................................
." रेलिया बेरन पिया को लिए जाए रे "....अक्सर बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की नव विवाहिताए अपने आंसुओं को पोंछते हुए गुनगुना उठती थी .........सच में बेरन रेलिया नहीं कोलकाता थी ....लेकिन उलहना कोलकाता को नहीं रेलिया को मिलती थी .....वे समझती थी , यदि उनके मर्द कोलकाता नहीं गये तो घरबार कैसे चलेगा .......
कोलकाता ..............................................................................................
कोलकाता देश की बौद्धिक राजधानी ...... परमहंस एवं विवेकानन्द का शहर ........
बंकिमचंद , टैगोर , शरतचंद , बिभूति शरण बंदोपाध्याय , आशापूर्ण देवी ....से लेकर महाश्वेता देवी तक शायद कोलकाता के पृष्ठ भूमि वाले लेखकों के कलम का मैं बचपन से ही आशिक रहा हूँ ........................... आज जब तमाम दलालों एवं मेरे जैसे अन्य यात्रियों के बीच धक्कामुक्की के बीच दुसरे दिन के तत्काल टिकट पर 'कन्फर्म ' का स्टेटस पाता हूँ , तो अपने को ग्लेडिएटर से कम नहीं समझता .........................
खैर, आधे दिन से कम का समय बचा है , और पता चला की यहाँ से वेलुर मठ काफी दूर पर है ..........
नजदीक में मेट्रो स्टेशन है , जहाँ से कालीघाट जाया जा सकता है ......................
मेट्रो .................................................................................................................
देश का सबसे पुराना मेट्रो ........ कोलकाता मेट्रो में दिल्ली मेट्रो जैसी रौनक तो नहीं है ......
लेकिन यहाँ की मेट्रो सिर्फ जमीन के अन्दर चलती है ......................
पूरी मेट्रो वाली फीलिंग देती है ...............
लेकिन सबसे सुखद आश्चर्य , मेट्रो स्टेशन के नाम में कवियों को बड़ी वरीयता दी गयी है ..........
दो स्टेशन कवी गुरु के नाम से हैं ....रविन्द्र सदन एवं रविन्द्र सरवर ,एक उनकी महान रचना गीतांजलि पर ...
दो और स्टेशन , दो कवियों कवि सुभाष एवं कवि नजरुल को समर्पित है .....................
काश दुसरे शहर में भी अपने कवियों के लिए इतना सम्मान होता ..............
अध्यात्म ...............................................................................................................
कालीघाट मेट्रो स्टेशन .....
अरे यहाँ तो कोलकाता है ही नहीं ......
छोटे छोटे दूकान , घर .......
कहीं कोई माल या बड़े शहर की चमक दमक नहीं ......
पश्चमी उत्तर प्रदेश के कोई नगर पंचायत भी इससे ज्यादा रौनक लगेगा .....
११ नम्बर वाले बस या कहिये पेदल चल कर कालीघाट के प्रसिद्ध काली मंदिर पहुँचता हूँ .....
अध्यात्म और बाजार (या किसी की जीवटता ही कह लिजिए ) का पुराना सम्बन्ध शुरू ..........
" मंदिर का मुख्य कपाट अभी बंद है , दर्शन करना चाहते हो तो , २०० रु /- लगेगा "......
एक तिलक धारी युवक ने तपाक से पूछा ...........
" क्या लगता है ,आपको चोरी से दर्शन का कोई फायदा होगा ..."
" चोरी से नहीं ,यह वी . आइ. पी . के लिए है ".....
कभी मंदिरों के कपाट कुछ वी . आई . पी. ( तथाकथित ?) जातियों के लिए ही सुरक्षित थे .....
बड़ी मुश्किल से सबके लिए खुल पाए थे .........
फिर से उन्हें नवसृजित वी . आई . पी. के लिए सुरक्षित किया जा रहा था ........
फिलहाल मैंने आम आदमी की तरह प्रवेश लिया .....
अन्दर काफी भीड़ थी .....और युवक की सुचना भी गलत थी .लेकिन भीड़ के नियत्रण की कोई व्यवस्था नहीं थी ......
मैंने मंदिर समिति का एक बोर्ड देखा . उनके सदस्य एवं अध्यक्ष में स्थानीय अधिकारीयों के उच्च पदों के नाम लिखे थे .....
पता नहीं शायद सारे किसी बड़ी दुर्घटना (माफ़ कीजियेगा लेकिन भीड़ के नियत्रण की कोई व्यवस्था ना होने की वजह से ऐसा हो सकता है ....) का इंतज़ार कर रहे हों .................
मंदिर परिसर में एक जगह प्रसाद स्वरुप खिचड़ी बांटी जा रही थी ......
बिना किसी कतार के , मैं ले पाने में सफल रहा . खिचड़ी साधारण लेकिन बहुत अच्छी लगी .........
भूख भी जो तेज लगी थी ...........
तभी एक छोटा सा बालक पैर पकड़ कर पैसे मानने लगा .....
मैंने पैसे देने से मना कर दिया .......
पता नहीं सही या गलत , पर मुझे लगता है ,पैसे देने से हम समाधान के
बजाय समस्या का हिस्सा हो जाता है .....
हो सकता है यह पूर्ण सत्य ना हो .....
फिलहाल मैं मंदिर से बाहर आ जाता हूँ .........................
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" मदर , मार्क्स एवं नगरवधू " पर चर्चा अगले पोस्ट में .........................
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