गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

मोहब्बत!




मोहब्बत की बुनियाद पर तो ये मुक्कम्मल जहाँ टिका हुआ है जनाब! अब वैलेंटाइन्स डे आ रहा है तो मैंने सोचा कि चलिए कुछ हमारी गुमसुम सी कलम से भी इश्क फरमा लिया जाए!।इस दुनिया के ज़र्रे ज़र्रे में मोहब्बत घर करती है तभी तो हम सब साथ में जीते हैं .नही तो आदमी तो है ही खुदगर्ज़ अव्वल दर्जे का! बस जिस्मानी लिबास बदल जाता है मोहब्बत का ...कभी इंसान से ,कभी किसी चीज़ से ,कभी किसी पालतू जानवर से ....! पर मेरे लिए मोहब्बत के मायने शायद सब से अलग हो सकते हैं। ।मेरे लिए प्यार के तसव्वुर को सबसे पहले जो तीन शख्स सच करते हैं वो हैं मेरी माँ,पापा,और छोटी बहन ! उन्होंने हर वो चीज़ की है मेरे लिए जो वो ज्यादा से ज्यादा कर सकते हैं मेरे लिए .बदले में तो मैं क्या ही उनके लिए उतना कर पाऊं जो वो मेरे लिए करते हैं।और वैसे भी वो बदले में कुछ नही चाहते क्यूँकी यही तो प्यार की परिभाषा है और प्यार की ,अपनेपन की पहली सीख तो वहीँ से मिलती है न!सच्चे प्यार में चाहे खुद को तकलीफ हो जाए पर अगर उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ सके तो प्यार के मायने पूरे हो गये . सच मानिए तो प्यार की पहली सीढ़ी विश्वास है,इतना भरोसा कि एक बार खुद पर शक हो सकता है पर उसपर नही! क्यूंकि वो आपको इतना जानता है कि आपसे बेहतर उसे पता होगा कि कहाँ आपके कदम डगमगायेंगे ! उसकी रग़ रग़ से आप वाकिफ हों ....तो लफ़्ज़ों की कोई ज़रुरत ही नही।क्यूंकि दिल की गहराईओं की पुकारों को सुनने के लिए आपको बाहर के शोर को तो कम करना होगा न! कहते हैं जो बातें जुबां से नही कही जा सकतीं वो ये कम्बख्त आखें बखूबी कह डालती हैं ...कमबख्त इसलिए क्यूंकि जब आप कुछ छुपाना चाहें तो भी नही देती ये .जब आप किसी से दिलों जान से मोहब्बत करते हैं तो आप खुदगर्ज़ नही हो सकते ....आप सिर्फ आप दोनों के बारे में ही नही सोच सकते ..आप परिवार के खिलाफ जाकर उनकी दुआओं के बिना आगे नही बढ़ सकते ....हाँ अगर वो नही समझते तब और बात है पर तब भी उनके साथ मशविरा करके ....उन्हें समझाकर उनके आशीर्वाद के बरगद तले अपना प्यार का आशियाँ बनाइये !....कहते हैं जब हम किसी से बेइन्तहा मोहब्बत करते हैं तो हम जाने अनजाने सबसे ज्यादा उसे ही तकलीफ भी देते हैं ....ये एक दम सही भी है क्यूंकि कहीं न कहीं यही वह शख्स है जिस के सामने आप जी भर के रो सकते हैं ,गुस्सा निकाल सकते हैं, पर उसकी तकलीफ की मरहम भी तो आप ही बन सकते हैं! शायद इन फिल्मों ने जो तस्वीर प्यार की दिखाई है,उससे आजकल की पीढ़ी के हम लोगों में से ज्यादातर दिखावे के लिए गर्लफ्रेंडऔर बॉयफ्रेंड बनाते हैं ..और कब तक निभायेंगे इसका भी कोई ठिकाना नहीं .... हम उसे ही प्यार मान बैठते हैं .शरीर से कहीं ऊपर उठकर दो आत्माओं का संगम है सच्चे प्यार का ये रिश्ता.वो रिश्ता जो एक बार जुड़ गया तो ताउम्र निभाने का है।
सिर्फ मोमबत्तियों की रोशनी ,खूबसूरत फूलों की खुशबू ,चॉकलेट्स या रोमांटिक म्यूजिक ही माहौल को रूमानी बनाने के लिए काफी नही ....अक्सर लड़कियां इस मामले में काफी परियों की दुनियां में रहती हैं।तो शायद लड़कों को भी लगता है कि इन सब चीज़ों से वो इम्प्रेस हो जाएंगी पर ...अगर ये न हो तो लगता है कितना अनरोमांटिक है ये ! पर इन सबसे बढ़कर प्यार का हर लम्हा ख़ास होता है ....शायद ये सब चीज़ें उन्हें और ख़ास बना दें ..! अपने साथी का आप उसके बुरे और अच्छे हर पल में बखूबी साथ निभाएं ....अगर कुछ खोने के लिए है तो आपका इगो .जो काफी मुश्किल है ....जो आपको एक दूसरे से दूर कर सकता है ....जो आपके सबसे करीब होता या होती है वो चाहे आपका कितना भी मज़ाक उड़ा ले ...कितना ही आपको टीज़ करे ....पर ज़रुरत पड़ने पर आपके लिए अपनी जान भी पेश कर सकते हैं .....खैर इससे याद आया कहीं पढ़ा था मैंने ...एक बार एक पत्नी ने बिलकुल रूखे से ...अनरोमांटिक पति से पूछा कि क्या आप उस पहाड़ी पर जाकर वो बेशकीमती फूल ले आयेंगे जिसके बारे में मुझे और आपको दोनों को पता है कि आप जिंदा वापस शायद ही आ पाएंगे ...तो पति बोले कि मैं इसका जवाब सुबह दूंगा ...उनकी सारी रात करवटों में गुज़री ....सुबह एक दूध के गिलास के नीचे दबे कागज़ के छोटे से टुकड़े पर जो लिखा था वो पढके उसकी आँखों से आंसुओं का जो सैलाब उमड़ा ...वो पूरी कहानी आप ही कह गया ....उसमें लिखा था .....क्यूँ उसका जिंदा रहना उसकी ज़रुरत ही नही दिली ख्वाहिश भी है क्यूंकि वो जब तक नही मर सकता जब तक वो यह पक्का न कर सके कि इस जहाँ में उससे भी ज्यादा कोई उसे प्यार ,उसकी फिक्र,देखभाल कर सकता है !...

पर इस प्यार और एह्तियाना बर्ताव के चक्कर में अगर कहीं औरत के स्वाभिमान ,उसकी आज़ादी के साथ कोई आदमी खेलता है तो वो बेशक झूठा या कुछ दिनों का दिखावटी प्यार है ....क्यूंकि विश्वास के बाद अपने साथी की ,उसके उसूलों की ,उसके ज़ज्बातों की इज्ज़त सबसे बड़ी चीज़ होती है . मनोवैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुका है कि जब एक औरत प्यार करती है तो अपना सब कुछ देकर भी उसे निभाती है पर ...आदमी को उसका ,उसके प्यार का ज्यादा इम्तेहान नही लेना चाहिए नही तो वो अगर चीज़ों को जोड़ना जानती है तो उसके गुस्से से भी आपको कोई नही बचा सकता ....मर्द होने का दंभ ज्यादा देर तक किसी रिश्ते में आड़े न ही आये तो बेहतर होगा ! 

तो वैलेंटाइन्स डे भले ही पाश्चात्य संस्कृति से आया हो पर प्रेम की सच्ची और सर्वोत्कृष्ट परिभाषा तो हमारी धरती पर कृष्ण और राधा ने ही दी थी ... शायद पश्चिम का अनुसरण करने के कारण आज हर तरफ इसका विरोध किया जाता है ...पर कहते हैं प्रेम सबसे अनुभूति है इस दुनिया की !..मनुष्य मात्र से प्रेम, प्रकृति से प्रेम या फिर किसी 'ख़ास ' से !
                                        
                                                                      ----------- स्पर्श चौधरी 

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