माँ के बिना जो बच्चा सोता न था रात भर
उस छड़ी टेकती बूढ़ी माँ के सहारे क्या हुए
उस छड़ी टेकती बूढ़ी माँ के सहारे क्या हुए
आँख के तारे की शरारत पर वो मुस्काती थी
आज चमक उन तारों के यू गायब क्यूँ हुए
गाँव की छतों पर कई तारे जो मिलते थे
ज़माने पहले के ये हसीं नज़ारे क्या हुए
आज चमक उन तारों के यू गायब क्यूँ हुए
गाँव की छतों पर कई तारे जो मिलते थे
ज़माने पहले के ये हसीं नज़ारे क्या हुए
चौपाल की बैठक की मस्ती और कहकहे
बच्चों को सुनाये जाने वाले वो किस्से क्या हुए
बच्चों को सुनाये जाने वाले वो किस्से क्या हुए
इस अंधाधुंध भौतिकतावाद के नशे में
हम भारतीय बदल अब कैसे क्या हुए।
हम भारतीय बदल अब कैसे क्या हुए।
------ विकास पाण्डेय
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