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बुधवार, 27 मार्च 2013
फाग!
आओ खेले फाग रे
भई भोर अब जाग रे
मुंडेर पे देखो बैठा काग रे
रंग जा , तू
लो पिचकारी और दाग रे
लगा लियो साबुन और झाग रे
गाओ कोई दिल का राग रे
खूब मचाओ, अनुराग रे
मुंडेर पे देखो बैठा काग रे
आओ खेले फाग रे
---------------नेपथ्य निशांत
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