१. दूर कहीं से एक पास आती हुई आवाज़ आती है,
धीरे-धीरे एक धुंधली से चीज़ करीब आती दिखती है
बढ़ी धडकनों और हडबडआहट के बेच, सूटकेस उठाकर
चल पड़ता हूँ अपनी मंजिल की और, प्लेटफार्म पर सबसे आगे
#ट्रेन आ रही है
२. ट्रक सामने है, और उसके पीछे कुछ कारें
इनके बाद कुछ ऑटो हैं, चलो धीरे धीरे आगे बढें
सामने आती हुई तेज़ बाईक को इशारा कर दो
और भागकर जल्दी से उस पार पहुँचो
#रोड पार करना है
३. उस वक़्त वो दृश्य अलौकिक सा लगता है, चुम्बकीय आकर्षण
और मन की साड़ी मलिनता , चिंता बह जाती हैं
उस भीनी ऊष्मा और हलकी पीली लाल रोशिनी में नहाये
आकाश में उड़ते परिंदे किसी की याद दिलाते हैं
#ढलता सूरज
धीरे-धीरे एक धुंधली से चीज़ करीब आती दिखती है
बढ़ी धडकनों और हडबडआहट के बेच, सूटकेस उठाकर
चल पड़ता हूँ अपनी मंजिल की और, प्लेटफार्म पर सबसे आगे
#ट्रेन आ रही है
२. ट्रक सामने है, और उसके पीछे कुछ कारें
इनके बाद कुछ ऑटो हैं, चलो धीरे धीरे आगे बढें
सामने आती हुई तेज़ बाईक को इशारा कर दो
और भागकर जल्दी से उस पार पहुँचो
#रोड पार करना है
३. उस वक़्त वो दृश्य अलौकिक सा लगता है, चुम्बकीय आकर्षण
और मन की साड़ी मलिनता , चिंता बह जाती हैं
उस भीनी ऊष्मा और हलकी पीली लाल रोशिनी में नहाये
आकाश में उड़ते परिंदे किसी की याद दिलाते हैं
#ढलता सूरज
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