आज पूरा भारत क्रांति के पथ पर अग्रसर हैं। क्रांति- इस देश से भ्रष्टाचार को मिटाने की।
एक तिहत्तर साल का वृद्ध पुरुष जब अनशन किए इस देश से गुहार लगा रहा है तो सबसे बड़ी
तादाद मे युवा पीढ़ी उनकी समर्थन मे आगे बढ़ रही है। बड़े बड़े घोटालो के खुलासे हो रहे है – कभी
2जी को कभी जीजाजी( रोबर्ट वदरा केस) तो कभी कोल-गेट।
लेकिन सवाल ये है कि- क्या यह भ्रष्ट भारत इनहि मंत्रियों और ऊंचे पदो पर बैठे देश के लुटेरो
तक सीमित है ?
जब मैं अपने घर मे शीत का अवकाश खुशी से मना रहा था तो मैं इस सवाल पर सोचने के लिए
विवश हो उठा। जब झारखंड सरकार बिजली के उत्पादन और वितरण की ज़िम्मेदारी असार्वजनिक
संगठनो के हाथों मे सौपने का निर्णय लिया, तो झारखंड राज्य बिजली मण्डल ने विरोध के रूप
मे पूरे राज्य को अंधकार मे पिरो दिया। हमारे घरों मे छत्तीस घंटो तक बिजली नहीं आई। मैंने
इस मसले के बारे मे पता करने की कोशिश की पहले क्या समस्या थी जो सरकार ने ऐसा कदम
उठाने का फैसला किया। अगर हम सिर्फ अपने जिले की बात करे तो ये ज्ञात हुआ की लगभग 5
करोड़ की बिजली हुमे सरकार की तरफ से दी जाती है। लेकिन जनता से सिर्फ 50-60 लाख तक
ही राशि का संग्रह हो पता है।इसके अलावा बिजली विभाग के सभी कर्मचारियों और मजदूरों की
पगार!! क्या है इसका कारण? भ्रष्टाचार!!
इन मजदूरो को लोग पचास रुपये देते है और ये आसानी से बिजली के खंबों पर छड़कर उनके घरो
को रोशनी से उजागर कर देते है।
ऐसा ही एक और मसला मेरे समक्ष आया। इसी बीच मेरी दीदी, जो IGNOU से M.Com कर रही
है, की परीक्षा चल रही थी।उन्होने मुझे बताया की परीक्षा-कक्ष मे सभी परीक्षार्थी आराम से
पर्चो से चोरी कर इम्तिहान मे उत्तीर्ण होने के अपने अरमानो को पूरा कर रहे थे। और उनके इन
अरमानो के सारथी थे- परीक्षा निरीक्षक। कारण- कुछ बच्चों ने उन्हे पाँच सौ रुपये थमा दिये और
अब पूरे अधिकार के साथ चोरी कर रहे थे।
इन दोनों मसलो से यही प्रतीत होता है की जो भ्रष्टाचार हैं, वो सिर्फ मंत्रियों के हाथों की
पाप नहीं हैं। ये आम जनता के भी रगों-रगों मे हैं। ये मजदूर , शिक्षकगण और वो लोग जो इन्हे
पैसा दे रहे हैं, ये वही लोग हैं जो आपको अन्ना हज़ारे या अरविंद केजरीवाल के भाषणों मे नजर
आएंगे। ये तो सिर्फ दो आम मसले थे, जो मेरी नज़रो के समक्ष आये. ऐसे न जाने कितने भ्रष्ट
कामो को हम आम जनता ही अंजाम देते है और ये सपने देखते हैं कि हमपर शासन करने वाले लोग
भ्रष्टमुक्त हो। अरे ये लोग भी तो हममे से ही एक हैं।
जरा सोचो, जब इतने छोटे चीजों मे तुम्हारा जमीर तुम्हें इजाजत दे रहा है, तो बड़ी कुर्सी पर बैठने
पर तुम क्यों रुकोगे।
आज अगर हम इस देश को भ्रष्टमुक्त करना चाहते है तो शुरुआत अपने आप से करनी होगी।
माना कई हैं यहाँ...... भ्रष्ट नेता
सिर्फ उनपर ही हैं क्यों ध्यान
लोकतंत्र मे पलने वाली जनता...
तुम्ही हो समस्या, तुम्ही समाधान।
------------- श्याम सुन्दर
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