शनिवार, 27 अप्रैल 2013

लोग और मैं!!

 

एक इंजीनियरिंग की छात्रा होने के बावजूद मुझे मशीनों और फॉर्मूले से कभी ह्रदय से जुड़ाव नही हो पाया या यूँ कहें मैं इस में रस नही ढून्ढ पायी तो मुझे ये नीरस लगता है !   मैंने कई बार कोशिश की कि मैं काफी प्रयासों के बाद आई .आई .टी में आई हूँ तो क्या मुझे उसमें दिल नही लगाना चाहिए ? प्रथम वर्ष तो मैंने अपने को शायद कन्फ्यूज्ड पाया पर फिर भी नए नवेलों को जो कहा जाता है ,नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है की तर्ज़ पर बड़ा जोश चढ़ता है ...तो वे सब कुछ करते हैं ....पढाई भी एक हद तक आने वाले सालों की तुलना में ज्यादा सीरियसली ले लेते हैं  :P धीरे धीरे सब मोह माया लगने लगती है ! :D पर शायद वक़्त से बड़ा गुरु कोई कोई नही होता यह बात तो सब मानते हैं ...समझ में आने लगता है और वो समझ ज़िन्दगी में कही उथल पुथल भी मचाती है ...और फिर कभी कभी बिलकुल सटीक बताती है कि इस दिल को क्या पसंद है !! .. लोगों में मुझे हमेशा रूचि रही है ....अब ,अच्छा -बुरा कुछ  नही होता ...हर किसी में कोई न कोई बुराई और अच्छाई दोनों होती है .देखने और परखने वाला होना चाहिए ! किसी ने कभी मुझसे पूछा कि क्या मैं उससे नफरत करती हूँ या पसंद नही करती हूँ ....तो मैंने कहा ...फिलहाल तो कोई ऐसा नही मिला मुझे जिससे मैं नफरत कर सकूं और अगर कोई नापसंद है तो शायद इसलिए कि हम उसे ज्यादा अच्छे से नहीं जानते !( आप क्या कहते हैं कि क्या बुरे से बुरा इंसान में भी अच्छाई ढून्ढ सकते हैं हम या नही ?) तरह तरह के लोगों से बातें करना रुचिकर तो होता ही है ,कुछ क्षणिक प्रसन्नता भी देता है ....हम अपने दोस्तों से तो अक्सर बातें करते हैं ...उन्हें जानते हैं या फिर जानने का भ्रम रखते हैं पर कितने लोग हैं जो अनजाने को देखकर मुस्काते हैं ,बातें करते हैं या उनकी कोई चीज़ अच्छी लगी हो तो तारीफ करते हैं .....क्या हम इसमें भी कंजूस होते जा रहे हैं ....या फिर ये वही हमारे स्वार्थी स्वाभाव का ही एक हिस्सा है ...या फिर सामने वाला क्या सोचेगा ....अच्छा इंसान है न जान न पहचान ...शुरू कर दी बात ! ...क्या ऐसा सोचने के कारण यह होता है या फिर कोई और वजह? आपने कभी गौर फरमाया है इस बारे में कि लोग और परिस्थितियाँ व्यक्ति को बहुत कुछ सिखा जाते हैं ! जो भी आपकी ज़िन्दगी में मिलता है उसका कोई तो कारण होता ही है और इसीलिए शायद यह बुरा भी है और अच्छा भी कि मुझे अपनी आगे की ज़िन्दगी में वो बातें जो ज़िन्दगी जीने में और उसके उतार चढ़ाव में स्थिर रहने में मदद करेंगी ...वो बातें और लोग ही याद रहेंगे न कि वो सैद्धांतिक पढाई जो पिछले तीन साल से कर रहे हैं ! लोग अक्सर कहते हैं ....कैसा आदमी है ....कितना भाषण  सुना के गया पर उस भाषण में क्या पता कुछ स्वार्थ का मटेरियल मिल जाए !! अलग बात है कि अर्थ हीन और सिर्फ वक़्त बिताने के लिए की जाने वाली बातों का भी अपना अलग महत्व होता है ....क्यूंकि ज़िन्दगी में हंसने के पल ,मज़ाक उड़ाने के पल, और ठहाका लगाने के पल आपको तरोताजा करते हैं ! ज्ञान वाली बातें तो कम लोग पसंद करते हैं और उसे उबाऊ भी समझते हैं ! और ये तो जायज़ है कि हर वक़्त हर कोई सीरियस  नही हो सकता या नही रह सकता ...उसके आनंद ,मनोरंजन के तरीके आप से जुदा हो सकते हैं पर होते तो हैं नही तो उसका दम घुटेगा ! और हर वक़्त खुश रहना सबके बस की बात नही ...ख़ुशी ,हंसी बांटना बेहद मुश्किल काम होता है ! और कई लोग अपना सारा दर्द छुपकर भी मुस्कुराते हैं,जोर जोर से हँसते हैं ,या और भी पागलपन करते हैं  ,मुझे बेहद आश्चर्य होता है ..कैसे ? पर जो भी हो वो भी एक रंग है लोगों का !
क्यूंकि इम्तिहानों के बाद अक्सर सच और भी अच्छे से स्पष्ट हो जाता है !!  ....:) :)
                                                                          ---------- स्पर्श चौधरी 

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