गुरु –कोई भी हो सकता है
! सृष्टि के कण कण को ,हर जीव को भगवान् ने बिलकुल अलग और ख़ास बनाया है –सबमें कुछ
ख़ास है -कोई किसी के जैसा नही ! इसीलिए जिसे आप बिलकुल अनुपयोगी या मूर्ख प्राणी समझते
हैं क्या पता वही आपको आपकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा पाठ पढ़ा जाए !! इसीलिए व्यर्थ अहंकार
में रहने की बजाय सबको सुनें,समझें,सीखें और इसे स्वीकार करें बिना किसी हिचकिचाहट
के चाहे वह व्यक्ति या चीज़ आपको पसंद न हो पर ये तो आपको मानना ही चाहिए कि उसने
आपको कुछ सिखाया और शुक्रगुज़ार भी होना पड़ेगा !!इसीलिए कोई एक गुरु नही ; भगवान्
की ही नही बल्कि इंसान की कृतियों को भी अपना
गुरु बना सकते हैं –जो आपको सिखा दे वो गुरु ,हाँ अब इसमें बुरे कामों के लिए भी
गुरु मिलते हैं इस दुनिया में -अब आप पर निर्भर करता है कि आपको आपके अन्य अच्छे ‘गुरुओं’
की सीख अपनानाकर अपना विवेक और ह्रदय को साथ लेकर चलना है !! सीखने की न तो कोई
उम्र होती है न ही वक़्त होता है –इस वक़्त कोई बड़ा उदाहरण देने की बजाय -अक्सर माँ
घर पर कहा करती हैं कि काम कोई भी बड़ा छोटा नही होता इसलिए जब कोई अच्छे से सफाई
करता है,झाडू लगाता है तो भी वो काबिले तारीफ़ होता है कि कैसे उसने अपने हिस्से का
काम परफेक्शन के साथ किया ! तो उस वक़्त इस मामले में वही गुरु !
हमारे
जन्म लेने के साथ
ही हमारे जीवन को हमारे माता –पिता ही आकार देना शुरू करते हैं और हम आज
जैसे भी हैं वो उनकी वजह से हैं ,और अगर कभी कोई गलत रास्ते
पर जाता है तो उसे सही करने की हर संभव कोशिश भी की जाती है पर चूँकि
संतान पर दूसरों का फर्क भी पड़ता है ,उसे चुनना
है कि वो माता पिता जो कभी उसके लिए बुरा नही सोच सकते –अपनी बुद्धि का
प्रयोग कर
अपने प्रथम गुरुओं का पथ अपनाये !
कभी कभी कला के विविध
रूपों ,उसकी रचनाओं ,विचारों में भी अच्छी सीख ढूंढ सकते हैं ,प्रकृति के हर अंश
में एक गुरु का तत्व छुपा है !! गुरु और शिष्य का रिश्ता सिर्फ ओहदे का या सम्मान
का नही होता ,क्यूंकि कभी कभी कहते हैं न बच्चे भी बड़ों को सिखा देते हैं तब तो
वही गुरु हो गये !!
वैसे तो अभी तक और आगे भी
औपचारिक रूप की शिक्षा में मुझे जिन्होंने भी पढाया और पढ़ाएंगे वो सम्मानीय हैं
क्यूंकि हरेक ने मुझे कुछ न कुछ सिखाया है पर मेरे कुछ टीचर्स की मैं ज़िन्दगी भर आभारी रहूंगी –जिनमें से दो मेरी
स्कूल में थीं और कुछ बंसल क्लासेज कोटा में ! मुझे आज भी याद है एक बार क्लास में
किसी सिलसिले में जॉर्ज मैडम ने मुझे
लड़कों के बीच बिठा दिया अपने बिलकुल सामने और मैं जो ज़रा अंतर्मुखी हूँ. मन के भाव
पढ़ते हुए उन्होंने मुझसे कहा अरे हम तो तुम्हे पी.एम .बनाना चाहते हैं और तुम इतने
में ही डर रही हो ! रेड्डी मैडम की वजह से ही कोटा का विचार आया ,नहीं तो घर से इतना दूर जाने
का कभी सोचा ही नही था और इसके बाद भी जब मैं उनसे मिली तो उन्हें मुझपर मुझसे ज्यादा विश्वास था
क्यूंकि वो मुझे बहुत अच्छे तरह से जानती थीं ! तो बंसल क्लासेज कोटा में वैसे तो
वो कुछ साल मेरी ज़िन्दगी के सबसे बेहतरीन साल थे पर कुछ टीचर्स थे (Vishal joshi sir , A.K.K
sir , M.K.S sir (उनकी सादगी और
उनका काम और कंपोज्ड नेचर मुझे बहुत अच्छा लगता था इसके अलावा कि फिज़िक्स मुझे
इन्ही से समझ में आई :p )जिन्होंने इस
कठिन तैयारी को बड़ा ही मजेदार और सार्थक बना दिया था जिनके साथ पढने की जब जब
यादें ताज़ा होती हैं वो सुखद अनुभूति लाती हैं .
गुरु पूर्णिमा की आप सभी
को हार्दिक शुभकामनायें और भगवान करे आप आगे भी यूँ सीखते रहे और अपने हर गुरु के
पाठों को अमल लाकर ज़िन्दगी में सफल और प्रसन्न बनें !!------------- स्पर्श चौधरी
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